आरव और नायरा की दोस्ती हुए लगभग एक महीने बीत चुके थे। उनकी मुलाकातें अब पहले से कहीं ज्यादा गैहरी हो चुकी थीं, और उनके बीच की बातें भी दिल के कोनों को छूने लगी थीं। लेकिन आरव के दिल में अब सिर्फ दोस्ती नहीं थी। उसे धीरे-धीरे ये एहसास हो रहा था कि वो नायरा के बिना अपनी जिंदगी जीने की सोच भी नहीं सकता। हर मुलाकात के बाद नायरा के साथ बिताए हुए लम्हे उसे और भी खास लगने लगे थे।
एक दिन आरव ने ठान लिया कि वह अब और इंतजार नहीं करेगा। उसने फैसला किया कि वह अपने दिल की बात नायरा से कह देगा, चाहे जो भी हो। उस शाम, आरव ने नायरा को फोन किया और उसे पार्क में मिलने के लिए बुलाया, जहां वे अक्सर मिला करते थे।
नायरा, जो इन दिनों अपने परिवार की समस्याओं में उलझी हुई थी, थोड़ी चिंतित थी। उसकी मां की तबियत खराब होती जा रही थी, और उसके पास अपने लिए समय निकालना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उसने आरव की बात मान ली और मिलने के लिए तैयार हो गई।
आरव पार्क में पहुंचा तो उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नायरा से अपने दिल की बात कहने का ख्याल उसे बेचैन कर रहा था। कुछ ही देर बाद नायरा वहाँ पहुंची, और उसे देखकर आरव के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
नायरा ने हल्के अंदाज़ में पूछा, "तुमने अचानक मिलने के लिए क्यों बुलाया?"
आरव ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "नायरा, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ। काफी समय से मेरे दिल में एक बात है, जिसे मैं अब और छिपा नहीं सकता।"
नायरा ने थोड़ा हैरान होकर उसकी तरफ देखा, "क्या बात है आरव? तुम इतने गंभीर क्यों लग रहे हो?"
आरव ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "नायरा, जब से मैं तुम्हें मिला हूँ, मेरी ज़िंदगी बदल गई है। तुमसे मिलना, बातें करना, और तुम्हारे साथ वक्त बिताना मेरे लिए सबसे खास हो गया है। लेकिन अब मुझे ये समझ आ गया है कि ये सिर्फ दोस्ती नहीं है। मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।"
आरव की यह बात सुनकर नायरा चौंक गई। उसके चेहरे पर हैरानी और उलझन का मिश्रण साफ दिख रहा था। वह कुछ कहने की कोशिश कर रही थी, लेकिन शब्द नहीं मिल पा रहे थे। उसके लिए यह सब अचानक था।
आरव ने धीरे से कहा, "मुझे पता है, यह सब अचानक है, लेकिन मैं और इंतजार नहीं कर सकता था। मैं सिर्फ यही चाहता हूँ कि तुम जानो कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।"
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नायरा ने कुछ पल चुप रहकर उसकी बात सुनी, फिर उसने एक गहरी सांस ली और कहा, "आरव, मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या कहूं। तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो, और तुम्हारे बिना मेरी ज़िंदगी भी अधूरी है। लेकिन मेरे जीवन में अभी कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हैं जिनसे मुझे निपटना है। मेरी मां की तबियत खराब है, और मैं उनके लिए पूरा वक्त देना चाहती हूँ। अभी मेरे पास अपने लिए भी समय नहीं है, तो किसी और को क्या दे पाऊँगी?"
आरव ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं। उसे नायरा की परेशानियों का अंदाजा था, लेकिन फिर भी उसके दिल को यह समझ पाना मुश्किल हो रहा था।
नायरा ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, "मैं तुमसे दूर नहीं जाना चाहती, लेकिन अभी मेरे पास कोई रास्ता नहीं है। मुझे समय चाहिए। मुझे नहीं पता कि मैं क्या महसूस कर रही हूँ, लेकिन अभी मेरे पास इसे समझने का भी वक्त नहीं है।"
आरव की आँखों में हल्की उदासी छा गई, लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा, "मैं समझता हूँ, नायरा। मैं तुम्हें मजबूर नहीं करना चाहता। अगर तुम्हें समय चाहिए, तो मैं इंतजार कर सकता हूँ। बस इतना जान लो कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"
नायरा ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन उसकी आँखों में छिपी उलझन साफ झलक रही थी। वह आरव के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "तुम एक बेहतरीन इंसान हो, आरव। और यही बात मुझे तुम्हारे करीब रखती है। लेकिन मुझे अभी कुछ वक्त चाहिए।"
यह सुनकर आरव ने सिर हिलाया और कहा, "मैं तुम्हें समझता हूँ, नायरा। मैं तुम्हारे फैसले का सम्मान करता हूँ।"
उस रात दोनों एक-दूसरे से विदा लेकर अपने-अपने घर चले गए, लेकिन उनके दिलों में एक अजीब सी खामोशी थी। आरव ने अपने प्यार का इज़हार कर दिया था, लेकिन नायरा की उलझन ने उसके दिल में एक असमंजस छोड़ दिया था। वहीं, नायरा भी खुद को समझने और परिवार की ज़िम्मेदारियों से जूझ रही थी।
अब उनका रिश्ता उस मोड़ पर खड़ा था, जहाँ भावनाएँ साफ तो थीं, लेकिन भविष्य धुंधला। दोनों को यह नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन इतना जरूर था कि उनका रिश्ता अब पहले जैसा नहीं रह गया था।
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