दिल से दिल तक Part 1

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                                 Part 1

दिल्ली की एक हलचल भरी शाम थी। शहर की रफ्तार किसी को भी थमने का मौका नहीं देती थी, लेकिन उसी भीड़ में आरव नाम का एक युवा अपनी ही धुन में खोया हुआ था। आरव एक साधारण सा इंसान था—सपने बहुत बड़े थे, लेकिन साधन सीमित। वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता था, लेकिन उसकी जिंदगी का असली सपना कुछ और ही था। उसे हमेशा से अपने लिए कुछ बड़ा करना था—कुछ ऐसा, जो उसकी पहचान बन सके। लेकिन रोज़मर्रा की ज़िम्मेदारियों और आर्थिक तंगी ने उसे उस सपने से दूर कर दिया था।

दूसरी तरफ नायरा थी। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से हाल ही में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी और जीवन में कुछ अलग करना चाहती थी। वह एक स्वतंत्र विचारों वाली लड़की थी, जिसने अपनी पहचान खुद बनाई थी। नायरा की सोच बाकी लोगों से थोड़ी अलग थी—वह ज़िंदगी को हर पल जीना चाहती थी। उसके लिए जिंदगी का मतलब सिर्फ एक सीधी राह पर चलना नहीं था, बल्कि हर मोड़ पर कुछ नया सीखना और समझना था।

वह दिन उनके जीवन में एक नया अध्याय लिखने वाला था। आरव अपने काम के बाद थका-हारा एक कॉफी शॉप में गया था, जहां वह अक्सर शांति पाने के लिए जाया करता था। वहीं नायरा भी किसी काम के सिलसिले में उस कॉफी शॉप में आई हुई थी। उसे यहाँ की माहौल और शांति पसंद थी।

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आरव को अपना कॉफी ऑर्डर लेने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ा। नायरा भी उसी लाइन में खड़ी थी, लेकिन उसे अपने विचारों में खोए रहने की आदत थी। वह एक किताब पढ़ रही थी और लाइन आगे बढ़ चुकी थी, लेकिन नायरा को इसका अंदाजा भी नहीं था। आरव ने हल्के से उसके कंधे पर थपथपाया, "माफ कीजिए, क्या आप आगे बढ़ेंगी?"

नायरा चौकते हुए पीछे मुड़ी और अपनी गलती पर मुस्कुराई। "ओह, सॉरी! मुझे बिल्कुल ध्यान नहीं था।"

यह आरव और नायरा की पहली मुलाकात थी—एक छोटी सी घटना, लेकिन दोनों के मन में एक अजीब सी छाप छोड़ गई थी। आरव को नायरा की सरलता और उसकी मासूम हंसी ने मोहित कर दिया था। नायरा को भी आरव का शांत और संयमित स्वभाव अच्छा लगा।

उसके बाद दोनों ने अपने-अपने कॉफी ऑर्डर लिए और अपनी-अपनी जगह बैठ गए। लेकिन मन की गहराइयों में कहीं दोनों की नज़रें एक-दूसरे की ओर खिंची जा रही थीं। नायरा किताब पढ़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन आरव बार-बार उसकी नजरों में आ रहा था। दूसरी ओर, आरव भी कॉफी पीते हुए नायरा को देखे बिना नहीं रह पा रहा था।

कॉफी शॉप के शांत माहौल में कुछ खास नहीं हो रहा था, लेकिन नायरा और आरव के दिलों में हलचल मची हुई थी। दोनों एक-दूसरे से अनजान होकर भी किसी अजीब सी कड़ी से बंधे हुए महसूस कर रहे थे। आरव ने कुछ देर बाद खुद को संयमित किया और अपने काम की ओर ध्यान देना शुरू किया, लेकिन उसके दिल में कहीं न कहीं नायरा की छवि घर कर चुकी थी।

वहीं, नायरा को भी इस मुलाकात ने थोड़ी उलझन में डाल दिया था। वह यह सोच रही थी कि क्यों एक अनजान शख्स से उसकी पहली मुलाकात इतनी खास लग रही थी। किताब के पन्ने पलटते हुए भी वह आरव के बारे में सोचती रही—क्या वह सिर्फ एक संयोग था या फिर किस्मत ने कुछ खास प्लान किया था?

कुछ ही देर बाद नायरा ने अपनी किताब बंद की और उठकर जाने लगी। तभी उसका फोन गिर गया, और आरव ने तुरंत उसे उठा लिया। नायरा ने धन्यवाद कहा, और इस बार दोनों की आँखें मिलीं। उन आँखों में एक क्षण के लिए मानो समय थम सा गया। नायरा ने धीरे से कहा, "शुक्रिया," और मुस्कुराते हुए चली गई।

यह छोटी सी मुलाकात दोनों के दिल में एक अजीब सी कसक छोड़ गई थी। नायरा का चेहरा आरव के मन में बस गया था, और आरव की शांति भरी आँखों ने नायरा को कहीं गहराई से छू लिया था। वे दोनों अलग-अलग रास्तों पर चले गए, लेकिन यह मुलाकात उनके जीवन की दिशा बदलने वाली थी।

कॉफी शॉप की वह शाम, जो देखने में साधारण थी, अब उनके जीवन का पहला कदम बन चुकी थी—एक अनकहा रिश्ता, जो अभी शब्दों में बंधा नहीं था, लेकिन दिलों में अपनी जगह बना चुका था। दोनों को यह नहीं पता था कि यह मुलाकात उनकी जिंदगी में क्या बदलाव लाएगी, लेकिन एक नई शुरुआत हो चुकी थी।

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